वह तरन्नुम का बादशाह है — सत्यपाल सक्सेना

राजगोपाल सिंह की ग़ज़ल एक अटूट आत्मविश्वास और कमाल दर्जे वाली जिजीविषा की एक ऐसी दिलचस्प अभिव्यक्ति है जिसकी गूंज दिलो-दिमाग़ में बड़ी देर तक प्रतिध्वनित होती रहती है। बहुत कम ग़ज़लें मेरे देखने में आई हैं जो एक साथ विचार के धरातल पर झकझोरती भी हों और आनन्द के धरातल पर आत्मसात् भी कर … Continue reading वह तरन्नुम का बादशाह है — सत्यपाल सक्सेना